आस्था को धन से तौलने वाले लोगों को
भारत के उन क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए
जहाँ के लोग दो वक़्त की रोटी के मोहताज़ है !
गरीबी में उनका जीवन गली के कुत्तों से भी बदतर है !
इस देश में आज भी लोगों के शरीर पर वस्त्र नहीं है !
वे खुले बदन रहने के लिए मजबूर है !
अब धनवालों का क्या कहना...
भगवान को करोडों के आभूषण अमीर घरानों के लोग अर्पित
कर अपनी कृत्रिम भक्ति का दर्शन कराते है !
कीमती मुकुट भगवन को चड़ने से पहले, देश के
४५ करोडों गरीबों के लिए घर बनवा देते !
भगवान को करोडों के आभूषण अर्पित करने से ज्यादा
भूखे पेट को भोजन, खुले बदन को वस्त्र देना ज़रूरी है !
मगर, इन गरीबों के लिए कौन सोचता ?
आयकर विभाग की ओर से छापे के डर, इन धनवालों को
भगवान पे चटावे के नाम से अपना कमाल दिखाते है !
आम इंसान अपने पुरे जीवन में ५० लाख तक नहीं कमा सकता
ओर मंत्री चले भगवान को करोडों लुटाने !
कभी कोई भक्त, शिर्डी साईं बाबा को सोने का सिहासन भेंट में दे रहा है तो,
कोई यहाँ हीरे की अंगूठी भेंट दे रहा है !
जीते जागते दुखी इंसानों की सेवा को सच्ची ईश्वर सेवा कहा गया है !
ऐसे में मंत्री/नेता/अभिनेता का यह धन प्रदर्शन टोंग
के सिवा क्या कहलायेगा मामूली इन्सान ?
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